Friday, March 30, 2012

JPSC Examination facing Legal Trap


JPSC seems to trapping in legal technicality as some of the students who failed in the recent re-revise result have got separate order from the high court that their candidature must be considered for the upcoming mains examination the sources close to the high court confirmed.

The candidates who had got the court directive in this regard has secured definitely lower marks than of cutoff ,that’s why JPSC is facing technical difficulty of equality .

Many believes that JPSC is looking to file counter reply regarding this issue because it will compel the commission to give good number of additional result to make level playing field.

21 comments:

jitu lal said...

mai v sun raha hun ki 20k result anewala hai then mains aug me hoga

Suman said...

Chairman solution chahta hi nahi hai...

bas manupulation me laga hai
and sabke career se khel raha hai

Anonymous said...

my results is also not there in re revised result what would be my fate plz help

Anonymous said...

bhai ye Jhanjhat Public Service Commission hai

Anonymous said...

abhi tak kuch hi student court ka order lakar MAINS KA FORM bhar paye hai kyoki iss baat ke jaankari sabhi ko nahi hai. jpsc ka kahna hai ki issbaat ko hum kyo disclose kare ke 1st aur 2nd time OUT hone wale form bhar saktai hai.
Wah kya justice hai. agar aaj koe cut-off se kam lakar court ka order dekha kar main ka form bhar rha hai to kya others ko yeh haQ nahi hai ? WAH RE JUSTICE !

Anonymous said...

agar aap ko nrak dekhna hai to aap jharkhand main aa jaye.

Anonymous said...

Jpsc ko 18-20 k rslt jari kar dena chahiye,use sochna chahiye tha ki ek to hm 4 sal pr ek exam lete hai uper se km reslt dete hai,isase ldko ka manobal tutata hai..apko chhatna hi hai to mains me chhato pt to km se km adhik ldko ka le lo..isliye jpsc ko pahle ki tarah 20k rslt de dena chahiye.

Abhay said...

Kya false news blog par de raheo pankaj bhai. Yeh saab karne se tum paas nahi kar jaoge.

Anonymous said...

झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की चार परीक्षाओं के आधार पर हुई नियुक्तियों को रद्द करने के अपने पुराने निर्णय को सरकार ने वापस ले लिया है। सरकार ने पिछले साल 21 अप्रैल को निगरानी जांच की रिपोर्ट के आधार पर डिप्टी रजिस्ट्रार नियुक्ति परीक्षा, राजकीय फार्मेसी संस्थान में व्याख्याता एवं प्राध्यापक नियुक्ति परीक्षा, सहायक एवं कनीय अभियंताओं की नियुक्ति परीक्षा व प्रथम संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा आधारित नियुक्ति को रद्द करने का फैसला किया था। पर सरकार ने नियुक्त लगभग 1000 अभ्यर्थियों को हटाने का आदेश नहीं निकाला था।

विधानसभा में मानव संसाधन मंत्री बैद्यनाथ राम ने बुधवार को यह जानकारी दी। सरकार ने खुद के पुराने निर्णय को पलटते हुए तर्क दिया है कि पहले निगरानी की प्राथमिक जांच के आधार पर जल्दबाजी में फैसला ले लिया गया था। इस पर पुनर्विचार किया गया। विधि विभाग से राय ली गई। इसके बाद फैसला बदल दिया गया। इन मामलों की जांच कर रही निगरानी से अंतिम रिपोर्ट मांगी गई है। उसमें गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई होगी।

Anonymous said...

सरकार का पुराना निर्णय
चार परीक्षाओं में जेपीएससी पर गड़बड़ी कर छात्रों के चयन का आरोप लगा था। मामले की निगरानी जांच हुई। एक अप्रैल 2011 को जांच में गड़बडिय़ों की पुष्टि की। पाया गया कि कॉपियों में अधिक नंबर दिए गए थे। नंबर जोडऩे में गलती हुई थी। कुछ कॉपियों में जांचकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे या अलग-अलग थे। 21 अप्रैल को सभी नियुक्तियों को रद्द करने तथा जेपीएससी के अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया।
नया निर्णय, नए तर्क
मंत्री ने कहा कि विधि विभाग के परामर्श पर पुराना निर्णय वापस लिया गया है। अब निगरानी की अंतिम जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। कुछ लोगों की गड़बडियों की सजा, योग्य अभ्यर्थियों को नहीं दी जा सकती। छह मार्च को निगरानी को पत्र लिखा गया है कि जांच रिपोर्ट जल्द दें। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।

Anonymous said...

सरकार का पुराना निर्णय
चार परीक्षाओं में जेपीएससी पर गड़बड़ी कर छात्रों के चयन का आरोप लगा था। मामले की निगरानी जांच हुई। एक अप्रैल 2011 को जांच में गड़बडिय़ों की पुष्टि की। पाया गया कि कॉपियों में अधिक नंबर दिए गए थे। नंबर जोडऩे में गलती हुई थी। कुछ कॉपियों में जांचकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे या अलग-अलग थे। 21 अप्रैल को सभी नियुक्तियों को रद्द करने तथा जेपीएससी के अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया।

नया निर्णय, नए तर्क
मंत्री ने कहा कि विधि विभाग के परामर्श पर पुराना निर्णय वापस लिया गया है। अब निगरानी की अंतिम जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। कुछ लोगों की गड़बडियों की सजा, योग्य अभ्यर्थियों को नहीं दी जा सकती। छह मार्च को निगरानी को पत्र लिखा गया है कि जांच रिपोर्ट जल्द दें। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।

Anonymous said...

सरकार का पुराना निर्णय

चार परीक्षाओं में जेपीएससी पर गड़बड़ी कर छात्रों के चयन का आरोप लगा था। मामले की निगरानी जांच हुई। एक अप्रैल 2011 को जांच में गड़बडिय़ों की पुष्टि की। पाया गया कि कॉपियों में अधिक नंबर दिए गए थे। नंबर जोडऩे में गलती हुई थी। कुछ कॉपियों में जांचकर्ता के हस्ताक्षर नहीं थे या अलग-अलग थे। 21 अप्रैल को सभी नियुक्तियों को रद्द करने तथा जेपीएससी के अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया।

नया निर्णय, नए तर्क

मंत्री ने कहा कि विधि विभाग के परामर्श पर पुराना निर्णय वापस लिया गया है। अब निगरानी की अंतिम जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। कुछ लोगों की गड़बडियों की सजा, योग्य अभ्यर्थियों को नहीं दी जा सकती। छह मार्च को निगरानी को पत्र लिखा गया है कि जांच रिपोर्ट जल्द दें। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।

Anonymous said...

faisla to aaya hai babu case number de dunga dekh lena

Anonymous said...

result increase hone ke baat sunkar kuch ko mirgi aa rha hai. ab babu kaise ban pauga ?

Anonymous said...

bhai tu mujhe case number de aur decision date bhi de dekhta hun tu kitna sachha or kitna jhutha hain. Dum hai to de barna bhaukna chod de. jpsc tumhare bas ki bat nahi

Anonymous said...

case no. WP/807/2012

Anonymous said...

dear,decision of this case no. is still pending,but since u r fighting with this corrupt commission,we r all with u for any help.

Anonymous said...

jpsc bole to jallad paglu susta cammina

Anonymous said...

anubhuti srivastava blog par VEDANTA or Rajesh ka post padh le.

Anonymous said...

JO PAHLE PASS THE AUR BAAD MAIN FAIL HO GAYE WAI ANUBHUTI SRIVASTAVA BLOG PAR "RAJESH" OR "VEDANTA" KA POST PADH LE KABHI HELP MILEGA.

Anonymous said...

dear please read last post of anubhuti's blog.